जमीयत उलेमा ए हिंद का स्थापना दिवस एक ऐतिहासिक इंकलाब का
दिन
लेख: मोहम्मद यासीन कासिमी
9871552408
अनुवाद: अनवर अहमद नूर
जमीयत उलेमा ए हिंद का स्थापना दिवस वास्तव में मिलते इस्लामिया के लिए एक बड़ा ऐतिहासिक इंकलाब
का दिन है
1 उलमा के आपसी मसलकी मतभेद विश्व जगत के हालात और स्वयं गुलाम भारत का दृश्य दिखा रहा था कि अगर उलेमा एक प्लेटफार्म पर जमा नहीं होंगे तो भारत से इस्लाम और मुसलमानों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा
2 इस चुभन ने 23 24 नवंबर 1919 को दिल्ली में आयोजित ऑल इंडिया खिलाफत कान्फ्रेंस के अवसर पर भारत के कोने-कोने से आए हुए विभिन्न मतों के उलमा ए कराम विद्वानों को एकजुट करने पर तैयार किया
3 22 नवंबर 1919 इतवार को मौलाना अहमद सईद साहब और मौलाना आजाद सुभानी साहब ने अलग अलग उलमा हजरत के घरों पर जाकर मुलाकात की और एक संस्था बनाने का निमंत्रण दिया
4 क्योंकि उलेमा पर अंग्रेजों की गहरी नजर थी इसलिए 23 नवंबर 1919 दिन सोमवार बाद नमाज फज्र एवं प्रसिद्ध बुजुर्ग सैयद हसन रसूल नुमा के मजार पर हाजिर होकर सबने प्रण किया कि हम मत संप्रदाय और निजी मतभेदों से ऊपर उठकर संयुक्त कौमी मिलली मसाइल मामलों में एकजुट वह सहमत रहेंगे हमारे खिलाफ अंग्रेज सरकार के हर जुल्म जबर को बर्दाश्त करेंगे और संगठन जमात के मामले में पूरी गोपनीयता और ईमानदारी से काम लेंगे
5 गोपनीयता की शपथ के बाद इसी दिन यानी 23 नवंबर 1919 दिन सोमवार एक रबी उल अव्वल 1338 हिजरी को ईशा की नमाज के बाद मस्जिद दरगाह सैयद हसन रसूल नुमा में मीटिंग हुई जिसमें विभिन्न संप्रदायों के 25 उलमा कराम ने भाग लिया और जमीयत उलेमा ए हिंद की नीव रखी
6 जमीयत उलेमा ए हिंद पहले दिन से ही मत संप्रदाय मतभेदों से ऊपर उठकर कुरान व हदीसो की रोशनी में भारतीयों के उज्जवल भविष्य और राजनीतिक सुधार के लिए ही प्रयासरत रही है
7 23 नवंबर 2018 को 99 साल पूरे हुए इस लंबे सफर के एक एक एक साल की सेवाओं पर एक एक मिनट ही बातचीत की जाए तो 99 मिनट चाहेंगे इसलिए संक्षिप्त चर्चा के बजाय सिर्फ बड़ी-बड़ी सेवाओं पर भी नजर डालें तो लगभग 32 शीर्षक सामने आते हैं
1- हिंदुस्तान की संपूर्ण आज़ादी के लिए पूरा पूरा संघर्ष
2- शैक्षिक और दीनी संस्थानों का नेटवर्क फैलाने की कोशिशें
3 - लोकतांत्रिक व्यवस्था में देशवासियों के साथ मिलकर काम करने की रणनीति अपनाने पर जोर
4 मुसलमानों के शरई दीनी मामलों में हस्तक्षेप के खिलाफ इंकलाबी कोशिश
5 मस्जिदों मदरसों मकतबो मकबरो खान काहो और दूसरे इस्लामी इदारो की सुरक्षा के लिए संघर्ष
6 उर्दू के अस्तित्व के लिए उचित कदम
7 मुसलमानों के सुधार के लिए समाज सुधार के प्रोग्राम
8 वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के प्रयास
9 सांप्रदायिक दंगों के खिलाफ कड़ा संघर्ष 10 मुसलमानों की अपनी पहचान को मिटाने की साजिशों को असफल बनाने की भरपूर कोशिश
11 संविधान में मुसलमानों को उनके दीनी मिलली राजनीतिक और शैक्षिक अधिकारों से वंचित करने या नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से किए जाने वाले परिवर्तनों के खिलाफ सख्त एक्शन
12 पाकिस्तान के नाम से मुसलमानों को एक अलग देश देने का कड़ा विरोध और उसके बजाए एक राष्ट्रवाद की वकालत 13 भारत बंटवारे के परिणाम में आबादी की अदला बदली की भयानक तबाही और सांप्रदायिक दंगों को रोकने के कड़े प्रयास 14 पाकिस्तान जाने वाले मुसलमानों की संपत्तियों को होने वाले खतरे और कस्टोडियन की मनमानी के खिलाफ कड़ा संघर्ष
15 सांप्रदायिकता और प्रशासन का मुसलमानों के लिए असहनीय हालात पैदा कर देने की स्थिति पर मिल बैठकर मनन चिंतन यानी गौर व फिक्र करने का निमंत्रण 16 जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक चरित्र की बहाली की कोशिश 17 फिलिस्तीन और पूरी दुनिया में मानवता पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ कड़ा विरोध
18 अकाबिर महापुरुषों के ऐतिहासिक कार्यों से नई पीढ़ी को परिचित कराने के लिए सेमिनार और प्रोग्राम का आयोजन 19 हरमैन शरीफैन की सुरक्षा की कोशिश 20 हज यात्रियों की परेशानियों को दूर करने के लिए उचित कदम
21 धर्म विरोधी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए प्रभावी कार्यवाही एवं संघर्ष
22 पैगंबर इस्लाम के अपमान के मामलों पर सख्त एक्शन
23 शरई मामलों के हल के लिए उचित प्रबंध और इमारतें शरिया की स्थापना
24 आतंकवाद विरोधी कॉन्फ्रेंसो का आयोजन
25 प्राकृतिक आपदा और सांप्रदायिक दंगों में बर्बाद हुए लोगों की सहायता एवं पुनर्स्थापना
26 जेलों में कैद निर्दोष लोगों की रिहाई के लिए कानूनी उपचार
27 विश्व इस्लामी जगत की समस्याओं पर दृष्टि और चिंतन
28 मुसलमानों के राजनीतिक हितों की सुरक्षा एवं संरक्षा
29 मुसलमानों की अपनी पहचान व अस्तित्व कायम रखने की कोशिश
30 मुसलमानों और देशवासियों की समाजी और आर्थिक सहायता
31 साहित्यिक शैक्षिक और अदबी प्रकाशन के कार्य
32 समय और आवश्यकता के अनुसार कॉन्फ्रेंसो सम्मेलनों और जनसभाओं का आयोजन
यह वह बड़े शीर्षक हैं जिन पर जमीयत उलेमा ए हिंद ने अपने
1 उलमा के आपसी मसलकी मतभेद विश्व जगत के हालात और स्वयं गुलाम भारत का दृश्य दिखा रहा था कि अगर उलेमा एक प्लेटफार्म पर जमा नहीं होंगे तो भारत से इस्लाम और मुसलमानों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा
2 इस चुभन ने 23 24 नवंबर 1919 को दिल्ली में आयोजित ऑल इंडिया खिलाफत कान्फ्रेंस के अवसर पर भारत के कोने-कोने से आए हुए विभिन्न मतों के उलमा ए कराम विद्वानों को एकजुट करने पर तैयार किया
3 22 नवंबर 1919 इतवार को मौलाना अहमद सईद साहब और मौलाना आजाद सुभानी साहब ने अलग अलग उलमा हजरत के घरों पर जाकर मुलाकात की और एक संस्था बनाने का निमंत्रण दिया
4 क्योंकि उलेमा पर अंग्रेजों की गहरी नजर थी इसलिए 23 नवंबर 1919 दिन सोमवार बाद नमाज फज्र एवं प्रसिद्ध बुजुर्ग सैयद हसन रसूल नुमा के मजार पर हाजिर होकर सबने प्रण किया कि हम मत संप्रदाय और निजी मतभेदों से ऊपर उठकर संयुक्त कौमी मिलली मसाइल मामलों में एकजुट वह सहमत रहेंगे हमारे खिलाफ अंग्रेज सरकार के हर जुल्म जबर को बर्दाश्त करेंगे और संगठन जमात के मामले में पूरी गोपनीयता और ईमानदारी से काम लेंगे
5 गोपनीयता की शपथ के बाद इसी दिन यानी 23 नवंबर 1919 दिन सोमवार एक रबी उल अव्वल 1338 हिजरी को ईशा की नमाज के बाद मस्जिद दरगाह सैयद हसन रसूल नुमा में मीटिंग हुई जिसमें विभिन्न संप्रदायों के 25 उलमा कराम ने भाग लिया और जमीयत उलेमा ए हिंद की नीव रखी
6 जमीयत उलेमा ए हिंद पहले दिन से ही मत संप्रदाय मतभेदों से ऊपर उठकर कुरान व हदीसो की रोशनी में भारतीयों के उज्जवल भविष्य और राजनीतिक सुधार के लिए ही प्रयासरत रही है
7 23 नवंबर 2018 को 99 साल पूरे हुए इस लंबे सफर के एक एक एक साल की सेवाओं पर एक एक मिनट ही बातचीत की जाए तो 99 मिनट चाहेंगे इसलिए संक्षिप्त चर्चा के बजाय सिर्फ बड़ी-बड़ी सेवाओं पर भी नजर डालें तो लगभग 32 शीर्षक सामने आते हैं
1- हिंदुस्तान की संपूर्ण आज़ादी के लिए पूरा पूरा संघर्ष
2- शैक्षिक और दीनी संस्थानों का नेटवर्क फैलाने की कोशिशें
3 - लोकतांत्रिक व्यवस्था में देशवासियों के साथ मिलकर काम करने की रणनीति अपनाने पर जोर
4 मुसलमानों के शरई दीनी मामलों में हस्तक्षेप के खिलाफ इंकलाबी कोशिश
5 मस्जिदों मदरसों मकतबो मकबरो खान काहो और दूसरे इस्लामी इदारो की सुरक्षा के लिए संघर्ष
6 उर्दू के अस्तित्व के लिए उचित कदम
7 मुसलमानों के सुधार के लिए समाज सुधार के प्रोग्राम
8 वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के प्रयास
9 सांप्रदायिक दंगों के खिलाफ कड़ा संघर्ष 10 मुसलमानों की अपनी पहचान को मिटाने की साजिशों को असफल बनाने की भरपूर कोशिश
11 संविधान में मुसलमानों को उनके दीनी मिलली राजनीतिक और शैक्षिक अधिकारों से वंचित करने या नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से किए जाने वाले परिवर्तनों के खिलाफ सख्त एक्शन
12 पाकिस्तान के नाम से मुसलमानों को एक अलग देश देने का कड़ा विरोध और उसके बजाए एक राष्ट्रवाद की वकालत 13 भारत बंटवारे के परिणाम में आबादी की अदला बदली की भयानक तबाही और सांप्रदायिक दंगों को रोकने के कड़े प्रयास 14 पाकिस्तान जाने वाले मुसलमानों की संपत्तियों को होने वाले खतरे और कस्टोडियन की मनमानी के खिलाफ कड़ा संघर्ष
15 सांप्रदायिकता और प्रशासन का मुसलमानों के लिए असहनीय हालात पैदा कर देने की स्थिति पर मिल बैठकर मनन चिंतन यानी गौर व फिक्र करने का निमंत्रण 16 जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक चरित्र की बहाली की कोशिश 17 फिलिस्तीन और पूरी दुनिया में मानवता पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ कड़ा विरोध
18 अकाबिर महापुरुषों के ऐतिहासिक कार्यों से नई पीढ़ी को परिचित कराने के लिए सेमिनार और प्रोग्राम का आयोजन 19 हरमैन शरीफैन की सुरक्षा की कोशिश 20 हज यात्रियों की परेशानियों को दूर करने के लिए उचित कदम
21 धर्म विरोधी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए प्रभावी कार्यवाही एवं संघर्ष
22 पैगंबर इस्लाम के अपमान के मामलों पर सख्त एक्शन
23 शरई मामलों के हल के लिए उचित प्रबंध और इमारतें शरिया की स्थापना
24 आतंकवाद विरोधी कॉन्फ्रेंसो का आयोजन
25 प्राकृतिक आपदा और सांप्रदायिक दंगों में बर्बाद हुए लोगों की सहायता एवं पुनर्स्थापना
26 जेलों में कैद निर्दोष लोगों की रिहाई के लिए कानूनी उपचार
27 विश्व इस्लामी जगत की समस्याओं पर दृष्टि और चिंतन
28 मुसलमानों के राजनीतिक हितों की सुरक्षा एवं संरक्षा
29 मुसलमानों की अपनी पहचान व अस्तित्व कायम रखने की कोशिश
30 मुसलमानों और देशवासियों की समाजी और आर्थिक सहायता
31 साहित्यिक शैक्षिक और अदबी प्रकाशन के कार्य
32 समय और आवश्यकता के अनुसार कॉन्फ्रेंसो सम्मेलनों और जनसभाओं का आयोजन
यह वह बड़े शीर्षक हैं जिन पर जमीयत उलेमा ए हिंद ने अपने
कार्यों से एक
इतिहास रचा है और जिनसे आप अच्छी तरह अनुमान लगा सकते
हैं कि भारतीय मुसलमानों के लिए जमीयत उलेमा हिंद का अस्तित्व क्या महत्व रखता है
इतिहास की रोशनी में यह दावा करना अतिशयोक्ति होगी मगर हालात की सच्चाईयां और
पूर्व की राजनीति तथा वर्तमान की राजनीति के दृष्टिगत यह सच है कि अगर जमीयत उलेमा
ए हिंद न होती तो भारतीय मुसलमानों के लिए यह देश वर्मा से भी अधिक बदतर होता
वर्तमान हालात में भी जबकि हर तरफ भय निराशा और आतंकवाद नाच रहा है कुछ लोग भीड़ के धार्मिक उन्माद को भड़का कर मानवता के चेहरे को नोच रहे हैं अब ऐसे
हालात में सेक्युलरिज्म और लोकतंत्र के वातावरण को
स्थापित रखना बहुसंख्यक समाज में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को विश्वसनीय बनाना
अत्याचार बर्बरता के पहाड़ टूटने के बावजूद निराशा से बचाए रखना और पूरी हकदारी के
दावे के साथ सिर उठाकर जीने का हौसला बख्शा यह सिर्फ और सिर्फ जमीयत उलेमा ए हिंद
का कारनामा है हजरत मौलाना कारी सैयद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी अध्यक्ष जमीयत
उलेमा हिंद हजरत मौलाना सैयद महमूद असद मदनी महासचिव जमीअत उलेमा हिंद के सफल
नेतृत्व में जमीयत उलेमा ए हिंद भारतवर्ष में राष्ट्र की मिलली धरोहर के संरक्षण
का कर्तव्य निर्वाहन करने में अग्रसर है